भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"राम का घर है कितनी दूर / शिवदीन राम जोशी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= शिवदीन राम जोशी {{KKCatRajasthan}} <poem> राम का घ...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
छो |
||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
{{KKCatRajasthan}} | {{KKCatRajasthan}} | ||
<poem> | <poem> | ||
− | राम का घर है कितनी | + | राम का घर है कितनी दूर।। राम... |
मारग जटिल पार नहीं पावूं। | मारग जटिल पार नहीं पावूं। | ||
कदम कदम पे ठोकर खावूं। | कदम कदम पे ठोकर खावूं। |
12:31, 7 जनवरी 2012 का अवतरण
{{KKRachna |रचनाकार= शिवदीन राम जोशी
राम का घर है कितनी दूर।। राम...
मारग जटिल पार नहीं पावूं।
कदम कदम पे ठोकर खावूं।
हो गया दम काफूर।। राम....
जो हमको कोउ राम मिलादे।
उनके घर की राह बतादे।
वही गुण में भरपूर।। राम...
मन मेरा उन्हीं से लागे।
विरहनि जैसे निशि दिन जागे।
चित्त रहे चरण में चूर।। राम...
संत सनेही सांचे अपने।
शिवदीन देख अनुभव के सपने।
वह घर है मशहूर।। राम....