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"राम चरण चित्त लगी / शिवदीन राम जोशी" के अवतरणों में अंतर

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राम  चरण  चित  लागी,  सुरता  राम  चरण  चित  लागी।  
 
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लागत  ही  सब  पाप  साफ, बहे  दुर्मति  दिल  से  भागी।
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लागत  ही  सब  पाप  साफ  बहे, दुर्मति  दिल  से  भागी।
 
प्रेम  प्रवाह  बह्यो  घट  भीतर,  ज्योती  उर  में  जागी।
 
प्रेम  प्रवाह  बह्यो  घट  भीतर,  ज्योती  उर  में  जागी।
 
मानस  पट  से  तामस  हटकर,  राजस  की  सुध  त्यागी।
 
मानस  पट  से  तामस  हटकर,  राजस  की  सुध  त्यागी।

22:16, 13 जनवरी 2012 का अवतरण

राम चरण चित लागी, सुरता राम चरण चित लागी।
लागत ही सब पाप साफ बहे, दुर्मति दिल से भागी।
प्रेम प्रवाह बह्यो घट भीतर, ज्योती उर में जागी।
मानस पट से तामस हटकर, राजस की सुध त्यागी।
भाव भक्ति से सदगुण व्यापे, भये प्रेम अनुरागी।
इड़ा पिंगला और सुषुम्ना, निज निज गती बतागी।
अजपा जप के मधुर शब्द से, अनहद नाद जगागी।
अष्ट सिद्धी सब लारें लागे, जो रसना अमृत पागी।
शिवदीन राम लख तत्व ज्योति को, ज्योति में ज्योति समागी।
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