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राष्ट्रीय गान / गिरिधर शर्मा 'नवरत्न'

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जय जय जय जय हिन्दुस्तान जय जय जय जय हिन्दुस्तान महिमंडल में सबसे बढके हो तेरा सन्मान सौर जगत् में सबसे उन्नत होवे तेरा स्थान अखिल विश्व में सबसे उत्तम है तू जीवन प्रान जय जय जय जय हिन्दुस्तान जय जय जय ज हिन्दुस्तान (१) धर्मासन तेरा बढकर है रक्षक तेरा गिरिवरधर है न्यायी तू है तू प्रियवर है है प्रिय तव सन्तान जय जय जय जय हिन्दुस्तान महिमंडल में सबसे बढकर सौर जगत् में सबसे उन्नत अखिल विश्व में सबसे उत्तम जय जय जय जय हिन्दुस्तान जय जय जय हिन्दुस्तान (२) पैदा हुआ न तू बन्धन को दुःख से मुक्त करे तू जन को फिरे न तू कह नीति वचन को है तेरा शुचि ज्ञान जय जय. महिमंडल में. सौर जगत् में. अखिल विश्व में. जय जय. जय जय. (३) बडे बडे तप पूर्ण किये हैं हरि को भी निज गोद लिये हैं इन्द्रासन भी हिला दिये हैं है तेरी वह शान जय जय. महिमंडल में. सौर जगत् में. अखिल विश्व में. जय जय. जय जय. (४) तेजस्वी तेरे बालक हैं आत्म प्रतिष्ठा के पालक हैं विश्व ताज के संचालक हैं ध्रुवसम, देश महान् जय जय. महिमंडल में. सौर जगत् में. अखिल विश्व में. जय जय. जय जय. (५) तव सुगन्धि सब जग में छावे लोक मान्य तू सब को भावे तेरी मोहन मूर्ति सुहावे करूँ निछावर जान जय जय. महिमंडल में. सौर जगत् में. अखिल विश्व में. जय जय. जय जय. जय जय जय जय हिन्दुस्तान जय जय जय जय हिन्दुस्तान।