भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"राष्ट्र देवता / सोम ठाकुर" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: तुझ पर निछावर फूल केसरिया शीश फूल ओ देवता! देश के देवता!! {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाका...)
(कोई अंतर नहीं)

00:12, 29 दिसम्बर 2007 का अवतरण

तुझ पर निछावर फूल केसरिया शीश फूल ओ देवता! देश के देवता!!

तेरी हथेली उठी,
किरणें उगने लगीं,
ऋतु हो गई चंपई
दिन की साँसें जगीं,
तू ने दिया रात को
गुलाबी सुबह का पता।
ओ देवता! देश के देवता!!

फलने लगा फौलाद
मेहनत की बाँह में,
उठते हुए तूफ़ान
तेरे द्वारे थमें,
संघर्ष की गोद में
सदा से सृजन खेलता।
ओ देवता! देश के देवता!!

काल का वसंती मंत्र
पढ़ती हैं पीढ़ियाँ,
सपने सयाने हुए,
चढ़ते हैं सीढ़ियाँ
संसार बढ़ते हुए
तेरे चरण देखता।