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"रास्ते का पता / रमेश कौशिक" के अवतरणों में अंतर

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17:32, 27 जून 2010 के समय का अवतरण

तुम हो
या मैं
हम सब
शहर की बिल्ली हैं
जो सैर को निकली
लेकिन जंगल में
रास्ता भूल गई

शेर से लेकर गीदड़ तक
उसने सभी से रास्ता पूछा
और हरेक ने
रास्ता बताने का आश्वासन दे
उसकी इज्ज़त को लूटा
और अंत में कहा-
रास्ते का पता
हमें भी है कहाँ