भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"रिफ्यूजी / तेनजिन त्सुंदे / अरुण चन्द्र रॉय" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 15: | पंक्ति 15: | ||
तुम्हारे माथे पर | तुम्हारे माथे पर | ||
दोनों भौंहों के बीच | दोनों भौंहों के बीच | ||
− | लिखा है | + | लिखा है ’र’ — |
कहा था शरणार्थी शिविर में | कहा था शरणार्थी शिविर में | ||
एक शिक्षक ने ! | एक शिक्षक ने ! | ||
पंक्ति 31: | पंक्ति 31: | ||
अपनी मातृभाषा में । | अपनी मातृभाषा में । | ||
− | मेरे माथे पर लिखे | + | मेरे माथे पर लिखे ’र’ को |
अँग्रेज़ी और हिन्दी की जीभ के बीच | अँग्रेज़ी और हिन्दी की जीभ के बीच | ||
तिब्बती जीभ पढ़ती है : | तिब्बती जीभ पढ़ती है : |
14:26, 26 सितम्बर 2019 के समय का अवतरण
सड़क के किनारे
बर्फ में धँसे टेण्ट में
जब मैं पैदा हुआ था
मेरी माँ ने कहा —
तुम शरणार्थी हो !
तुम्हारे माथे पर
दोनों भौंहों के बीच
लिखा है ’र’ —
कहा था शरणार्थी शिविर में
एक शिक्षक ने !
मैंने कोशिश की
रगड़-रगड़ कर
इस चिन्ह को मिटाने की
मेरा माथा छिल कर लाल हो गया
किन्तु यह दाग मिटा नहीं
मैं शरणार्थी पैदा हुआ हूँ
मेरी तीन जीभें हैं,
उनमे से एक जीभ
अब भी गाती है
अपनी मातृभाषा में ।
मेरे माथे पर लिखे ’र’ को
अँग्रेज़ी और हिन्दी की जीभ के बीच
तिब्बती जीभ पढ़ती है :
"रंगजन"
जिसका अर्थ होता है - स्वतन्त्रता !
अँग्रेज़ी से अनुवाद : अरुण चन्द्र रॉय