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"रिश्ते-1 / कविता वाचक्नवी" के अवतरणों में अंतर

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रूठें कैसे नहीं बचे अब
 
रूठें कैसे नहीं बचे अब
 
 
मान मनोव्वल के रिश्ते
 
मान मनोव्वल के रिश्ते
 
 
अलगे-से चुपचाप चल रहे
 
अलगे-से चुपचाप चल रहे
 
 
ये पल दो पल के रिश्ते  
 
ये पल दो पल के रिश्ते  
  
  
 
कभी गाँठ से बंध जाते हैं
 
कभी गाँठ से बंध जाते हैं
 
 
कभी गाँठ बन जाते हैं
 
कभी गाँठ बन जाते हैं
 
 
कब छाया कब चीरहरण, हो
 
कब छाया कब चीरहरण, हो
 
 
जाते आँचल के रिश्ते
 
जाते आँचल के रिश्ते
  
  
 
आते हैं सूरज बन, सूने
 
आते हैं सूरज बन, सूने
 
 
में चह-चह भर जाते हैं
 
में चह-चह भर जाते हैं
 
 
आँज अँधेरा भरते आँखें
 
आँज अँधेरा भरते आँखें
 
 
छल-छल ये छल के रिश्ते
 
छल-छल ये छल के रिश्ते
  
  
 
कच्चे धागों के बंधन तो
 
कच्चे धागों के बंधन तो
 
 
जनम-जनम पक्के निकले
 
जनम-जनम पक्के निकले
 
 
बड़ी रीतियाँ जुगत रचाईं  
 
बड़ी रीतियाँ जुगत रचाईं  
 
 
टूटे साँकल के रिश्ते
 
टूटे साँकल के रिश्ते
  
 
  
 
एक सफेदी की चादर ने
 
एक सफेदी की चादर ने
 
 
सारे रंगों को निगला
 
सारे रंगों को निगला
 
 
आज अमंगल और अपशकुन
 
आज अमंगल और अपशकुन
 
 
कल के मंगल के रिश्ते
 
कल के मंगल के रिश्ते

10:04, 11 जून 2013 का अवतरण

रूठें कैसे नहीं बचे अब
मान मनोव्वल के रिश्ते
अलगे-से चुपचाप चल रहे
ये पल दो पल के रिश्ते


कभी गाँठ से बंध जाते हैं
कभी गाँठ बन जाते हैं
कब छाया कब चीरहरण, हो
जाते आँचल के रिश्ते


आते हैं सूरज बन, सूने
में चह-चह भर जाते हैं
आँज अँधेरा भरते आँखें
छल-छल ये छल के रिश्ते


कच्चे धागों के बंधन तो
जनम-जनम पक्के निकले
बड़ी रीतियाँ जुगत रचाईं
टूटे साँकल के रिश्ते


एक सफेदी की चादर ने
सारे रंगों को निगला
आज अमंगल और अपशकुन
कल के मंगल के रिश्ते