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"रिश्तों का उपवन इतना वीरान नहीं देखा / ओमप्रकाश यती" के अवतरणों में अंतर

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रिश्तों का उपवन इतना वीरान नहीं देखा।
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रिश्तों का उपवन इतना वीरान नहीं देखा।
हमने कभी बुजुर्गों का अपमान नहीं देखा।
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हमने घर  के बूढ़ों का अपमान नहीं देखा।
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जिनकी  बुनियादें  ही धन्धों पर आधारित  हैं
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ऐसे  रिश्तों  को  चढ़ते परवान  नहीं  देखा।
  
जिनकी बुनियादें ही धन्धों पर आधारित हैं
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कोई  तुम्हारा  कान चुराकर भाग रहा, सुनकर
ऐसे रिश्तों को चढ़ते परवान नहीं देखा।
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उसके  पीछे भागे ,अपना  कान  नहीं देखा
  
गिद्धों के ग़ायब होने की चिन्ता है उनको
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दो पल को भी   बैरागी   कैसे   हो पाएगा
हमने मुद्दत से कोई इंसान नहीं देखा।
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उसका मन, जिसने जाकर शमशान नहीं देखा।
 
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दो पल को भी बैरागी कैसे हो पाएगा
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उसका मन जिसने जाकर शमशान नहीं देखा।
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दिल से दिल के तार मिलाकर जब यारी कर ली
 
दिल से दिल के तार मिलाकर जब यारी कर ली
हमने उसके बाद नफ़ा–नुक़सान नहीं देखा।
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हमने उसके बाद नफ़ा–नुक़सान नहीं देखा।
  
 
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21:00, 22 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण

रिश्तों का उपवन इतना वीरान नहीं देखा।
हमने घर के बूढ़ों का अपमान नहीं देखा।
 
जिनकी बुनियादें ही धन्धों पर आधारित हैं
ऐसे रिश्तों को चढ़ते परवान नहीं देखा।

कोई तुम्हारा कान चुराकर भाग रहा, सुनकर
उसके पीछे भागे ,अपना कान नहीं देखा

दो पल को भी बैरागी कैसे हो पाएगा
उसका मन, जिसने जाकर शमशान नहीं देखा।

दिल से दिल के तार मिलाकर जब यारी कर ली
हमने उसके बाद नफ़ा–नुक़सान नहीं देखा।