भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रेत री पुकार / मंगत बादल

1,160 bytes removed, 22:41, 14 जनवरी 2011
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मंगत बादल }} {{KKPustak|चित्र=|नाम=|रचनाकार=[[मंगत बादल]]|प्रकाशक= |वर्ष= |भाषा= राजस्थानी|विषय= कविताएँ|शैली= छंद मुक्त |पृष्ठ= |ISBN= |संग्रहविविध=
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
{{KKCatKavita‎}}
<Poem>
थे कदी सुणी है-
रेत री पुकार
तिस मरती रेत री
पाणी जठै
एक सोवणो सुपनो है
हारी-थाकी आंख्यां रो ।
एक-एक बूंद तांई तरसती
फेफी जम्यां होटां पर जीभ फिरांवती
रेत रो
पाणी सूं कितणो हेत हुवै
थे स्यात कोनी जाणो ।
आभो तकती आंख्यां में
मेह सूं कितणो नेह हुवै
ऐ खेजड़ा अर फोगला जाणै
या जाणै रोहिड़ो
जिको काळी-पीली आंधी में बी
मुळकतो-मुळकतो गीत गा देवै
रेत री संवेदनशीलता रा
रेत –
कोरी रेत नईं है
बठै बी थानै
रंगीन कल्पनावां मिलसी ;
जिकै दिन आ रेत
अंगड़ाई लेसी
इतिहास बदळ ज्यावैलो
थे देखता रहज्यो
अठै बी
नुंईं-नुंईं कळियां खिलसी ।
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
5,480
edits