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फिर गिद्धों की दावत चलती पुरूषोत्तम के कमरे में।
अंदर में अँगरक्षक बैठे बाहर लगे सुरक्षाकर्र्मीसुरक्षाकर्मी
हवा भी आने से है डरती पुरूषोत्तम के कमरे में।
चाभी मगर यहीं पर रहती पुरूषोत्तम के कमरे में।
फिर क्या गरज़ पड़ी रावन रावण को सीता का वह हरन करे
उसे यहीं हर सुविधा मिलती पुरूषोत्तम के कमरे में।
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