भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

लंका के चारो द्वार / अंगिका लोकगीत

Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:44, 14 अप्रैल 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=अंगिका }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

लंका के चारो द्वार जाकर घेर लिया सब बंदर ने
घेर लिया सब बंदर ने हो घेर लिया सब बंदर ने
लंका के चारो द्वार जाकर घेर लिया सब बंदर ने

कौन द्वार सुग्रीवा घेरे हो पूरब द्वार सुग्रीवा न हो
पछिम द्वार हनुमान जाकर घेर लिया सब बंदर ने
लंका के चारो द्वार जाकर घेर लिया सब बंदर ने

कौन द्वार लछमना घेरे हो कौन द्वार लछमना न हो
कौर द्वार भगवान जाकर घेर लिया सब बंदर ने
लंका के चारो द्वार जाकर घेर लिया सब बंदर ने

दखिन द्वार लछमना घेरे हो दखिन द्वार लछमना न हो
उत्तर द्वार भगवान जाकर घेर लिया सब बंदर ने
लंका के चारो द्वार जाकर घेर लिया सब बंदर ने