भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"लगा कि अब तेरी बाँहों में कोई और भी है / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल |संग्रह=कुछ और गुलाब / गुलाब खंड…)
 
 
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 13: पंक्ति 13:
 
निशान फूल की राहों में कोई और भी है
 
निशान फूल की राहों में कोई और भी है
  
जवाब जिसका आज तक नहीं हुआ मालूम
+
जवाब जिसका नहीं आज तक हुआ मालूम
 
सवाल उनकी निगाहों में कोई और भी है
 
सवाल उनकी निगाहों में कोई और भी है
  
पंक्ति 19: पंक्ति 19:
 
शरीक दिल के गुनाहों में कोई और भी है
 
शरीक दिल के गुनाहों में कोई और भी है
  
खबर किसे है, हवाओं के मन में क्या है, गुलाब!
+
ख़बर किसे है, हवाओं के मन में क्या है, गुलाब!
 
छिपा बहार की छाँहों में कोई और भी है
 
छिपा बहार की छाँहों में कोई और भी है
 
<poem>
 
<poem>

01:19, 9 जुलाई 2011 के समय का अवतरण


लगा कि अब तेरी बाँहों में कोई और भी है
हमीं हों दिल में, निगाहों में कोई और भी है

ये कौन रात तड़पता रहा है काँटों पर!
निशान फूल की राहों में कोई और भी है

जवाब जिसका नहीं आज तक हुआ मालूम
सवाल उनकी निगाहों में कोई और भी है

पता नहीं कि उधर बेबसी में क्या गुज़री!
शरीक दिल के गुनाहों में कोई और भी है

ख़बर किसे है, हवाओं के मन में क्या है, गुलाब!
छिपा बहार की छाँहों में कोई और भी है