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Kavita Kosh से
हमको मिली हैं आज ये घड़ियाँ नसीब से
जी भर के देख लीजिये लीजिए हमको करीब क़रीब से
फिर आपके नसीब में ये बात हो न हो |
बाँहें गले में डाल के हम रो लें ज़ार-ज़ार
आँखों से फिर ये प्यार की बरसात हो न हो |
'''फ़िल्म : वो कौन थी (1964)
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