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"लड़की / स्नेहमयी चौधरी" के अवतरणों में अंतर

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<poem>मेरे अंदर की  
 
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अबोध लड़की
 
अबोध लड़की

23:26, 13 अक्टूबर 2015 के समय का अवतरण

मेरे अंदर की
अबोध लड़की
चुपचाप खिसक गई
जाने कहां
कविताओं में अपने को
अभिव्यक्त कर पाने में असमर्थ
फूट-फूट कर रो रही हूं मैं यहां!