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"लहसुन गाँठ कपूर के नीर में / गँग" के अवतरणों में अंतर

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मोगरे माहिं लपेटि धरी 'गंग बास सुबास न आव न आई।
 
मोगरे माहिं लपेटि धरी 'गंग बास सुबास न आव न आई।
 
ऐसेहि नीच को ऊँच की संगति, कोटि करौ पै कुटेव न जाई॥
 
ऐसेहि नीच को ऊँच की संगति, कोटि करौ पै कुटेव न जाई॥
रती बिन राज, रती बिन पाट, रती बिन छत्र नहीं इक टीको।
 
 
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22:00, 10 नवम्बर 2009 का अवतरण

लहसुन गाँठ कपूर के नीर में, बार पचासक धोइ मँगाई।
केसर के पुट दै दै कै फेरि, सुचंदन बृच्छ की छाँह सुखाई॥
मोगरे माहिं लपेटि धरी 'गंग बास सुबास न आव न आई।
ऐसेहि नीच को ऊँच की संगति, कोटि करौ पै कुटेव न जाई॥