भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"लाइए,मैं चरण चूमूं आपके / नागार्जुन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: रचनाकार: नागार्जुन Category:कविताएँ Category:नागार्जुन ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~ देवि, अब ...)
 
 
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
रचनाकार: [[नागार्जुन]]
+
{{KKGlobal}}
[[Category:कविताएँ]]
+
{{KKRachna
[[Category:नागार्जुन]]
+
|रचनाकार=नागार्जुन
 
+
|संग्रह=खिचड़ी विप्लव देखा हमने / नागार्जुन
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
+
}}
 
+
{{KKCatKavita‎}}
 
+
<poem>
 
देवि, अब तो कटें बंधन पाप के
 
देवि, अब तो कटें बंधन पाप के
 
+
लाइए, मैं चरण चूमूँ आपके
लाइए, मैं चरण चूमूं आपके
+
 
+
  
 
जिद निभाई, डग बढ़ाए नाप के
 
जिद निभाई, डग बढ़ाए नाप के
 
+
लाइए, मैं चरण चूमूँ आपके
लाइए, मैं चरण चूमूं आपके
+
 
+
 
+
  
 
सौ नमूने बने इनकी छाप के
 
सौ नमूने बने इनकी छाप के
 
+
लाइए, मैं चरण चूमूँ आपके
लाइए, मैं चरण चूमूं आपके
+
 
+
 
+
  
 
किए पूरे सभी सपने बाप के
 
किए पूरे सभी सपने बाप के
 
+
लाइए, मैं चरण चूमूँ आपके
लाइए, मैं चरण चूमूं आपके
+
 
+
 
+
  
 
हो गए हैं विगत क्षण अभिशाप के
 
हो गए हैं विगत क्षण अभिशाप के
 
+
लाइए, मैं चरण चूमूँ आपके
लाइए, मैं चरण चूमूं आपके
+
 
+
  
 
मिट गए हैं चिह्न अन्तस्ताप के
 
मिट गए हैं चिह्न अन्तस्ताप के
 
+
लाइए, मैं चरण चूमूँ आपके
लाइए, मैं चरण चूमूं आपके
+
 
+
  
 
दया उमड़ी, गुल खिले शर-चाप के
 
दया उमड़ी, गुल खिले शर-चाप के
 
+
लाइए, मैं चरण चूमूँ आपके
लाइए, मैं चरण चूमूं आपके
+
 
+
  
 
सिद्धी होगी, मिलेंगे फल जाप के
 
सिद्धी होगी, मिलेंगे फल जाप के
 
+
लाइए, मैं चरण चूमूँ आपके
लाइए, मैं चरण चूमूं आपके
+
 
+
  
 
थक गए हैं हाथ गोबर थाप के
 
थक गए हैं हाथ गोबर थाप के
 
+
लाइए, मैं चरण चूमूँ आपके
लाइए, मैं चरण चूमूं आपके
+
 
+
  
 
खो गए लय बोल के, आलाप के
 
खो गए लय बोल के, आलाप के
 
+
लाइए, मैं चरण चूमूँ आपके
लाइए, मैं चरण चूमूं आपके
+
 
+
  
 
कढ़ी आहें, जमे बादल भाप के
 
कढ़ी आहें, जमे बादल भाप के
 +
लाइए, मैं चरण चूमूँ आपके
  
लाइए, मैं चरण चूमूं आपके
+
देवि, अब तो कटे बँधन पाप के
 
+
लाइए, मैं चरण चूमूँ आपके
 
+
देवि, अब तो कटे बंधन पाप के
+
 
+
लाइए, मैं चरण चूमूं आपके
+
 
+
  
(१९७४ में रचित, 'खिचड़ी विप्लव देखा हमने' नामक संग्रह से)
+
(१९७४)

11:54, 18 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण

देवि, अब तो कटें बंधन पाप के
लाइए, मैं चरण चूमूँ आपके

जिद निभाई, डग बढ़ाए नाप के
लाइए, मैं चरण चूमूँ आपके

सौ नमूने बने इनकी छाप के
लाइए, मैं चरण चूमूँ आपके

किए पूरे सभी सपने बाप के
लाइए, मैं चरण चूमूँ आपके

हो गए हैं विगत क्षण अभिशाप के
लाइए, मैं चरण चूमूँ आपके

मिट गए हैं चिह्न अन्तस्ताप के
लाइए, मैं चरण चूमूँ आपके

दया उमड़ी, गुल खिले शर-चाप के
लाइए, मैं चरण चूमूँ आपके

सिद्धी होगी, मिलेंगे फल जाप के
लाइए, मैं चरण चूमूँ आपके

थक गए हैं हाथ गोबर थाप के
लाइए, मैं चरण चूमूँ आपके

खो गए लय बोल के, आलाप के
लाइए, मैं चरण चूमूँ आपके

कढ़ी आहें, जमे बादल भाप के
लाइए, मैं चरण चूमूँ आपके

देवि, अब तो कटे बँधन पाप के
लाइए, मैं चरण चूमूँ आपके

(१९७४)