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"लाई हूँ फूलों का हास / सुमित्रानंदन पंत" के अवतरणों में अंतर
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|रचनाकार=सुमित्रानंदन पंत | |रचनाकार=सुमित्रानंदन पंत | ||
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लाई हूँ फूलों का हास, | लाई हूँ फूलों का हास, | ||
− | लोगी मोल, लोगी मोल ? | + | लोगी मोल, लोगी मोल? |
तरल तुहिन-बन का उल्लास | तरल तुहिन-बन का उल्लास | ||
− | ::लोगी मोल, लोगी मोल ? | + | ::लोगी मोल, लोगी मोल? |
फैल गई मधु-ऋतु की ज्वाल, | फैल गई मधु-ऋतु की ज्वाल, | ||
− | जल-जल उठतीं बन की डाल | + | जल-जल उठतीं बन की डाल; |
कोकिल के कुछ कोमल बोल | कोकिल के कुछ कोमल बोल | ||
− | ::लोगी मोल, लोगी मोल ? | + | ::लोगी मोल, लोगी मोल? |
उमड़ पड़ा पावस परिप्रोत, | उमड़ पड़ा पावस परिप्रोत, | ||
− | फूट रहे नव-नव जल-स्रोत | + | फूट रहे नव-नव जल-स्रोत; |
जीवन की ये लहरें लोल, | जीवन की ये लहरें लोल, | ||
− | ::लोगी मोल, लोगी मोल ? | + | ::लोगी मोल, लोगी मोल? |
विरल जलद-पट खोल अजान | विरल जलद-पट खोल अजान | ||
− | छाई शरद-रजत-मुस्कान | + | छाई शरद-रजत-मुस्कान; |
− | यह छवि की | + | यह छवि की ज्योत्स्ना अनमोल |
− | ::लोगी मोल, लोगी मोल ? | + | ::लोगी मोल, लोगी मोल? |
अधिक अरुण है आज सकाल -- | अधिक अरुण है आज सकाल -- | ||
− | चहक रहे जग-जग खग-बाल | + | चहक रहे जग-जग खग-बाल; |
चाहो तो सुन लो जी खोल | चाहो तो सुन लो जी खोल | ||
− | ::कुछ भी आज | + | ::कुछ भी आज न लूँगी मोल! |
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+ | रचनाकाल: एप्रिल’ १९२७ | ||
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10:16, 10 जून 2010 के समय का अवतरण
लाई हूँ फूलों का हास,
लोगी मोल, लोगी मोल?
तरल तुहिन-बन का उल्लास
लोगी मोल, लोगी मोल?
फैल गई मधु-ऋतु की ज्वाल,
जल-जल उठतीं बन की डाल;
कोकिल के कुछ कोमल बोल
लोगी मोल, लोगी मोल?
उमड़ पड़ा पावस परिप्रोत,
फूट रहे नव-नव जल-स्रोत;
जीवन की ये लहरें लोल,
लोगी मोल, लोगी मोल?
विरल जलद-पट खोल अजान
छाई शरद-रजत-मुस्कान;
यह छवि की ज्योत्स्ना अनमोल
लोगी मोल, लोगी मोल?
अधिक अरुण है आज सकाल --
चहक रहे जग-जग खग-बाल;
चाहो तो सुन लो जी खोल
कुछ भी आज न लूँगी मोल!
रचनाकाल: एप्रिल’ १९२७