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लाल है परचम नीचे हँसिया ऊपर सधा हथौड़ा है / कांतिमोहन 'सोज़'

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लाल है परचम नीचे हँसिया ऊपर सधा हथौड़ा है ।
इस परचम की ख़ातिर साथी जान भी दें तो थोड़ा है ।।

आधी दुनिया है उजियारी आधी में अँधियारा है
आधी में जगमग दीवाली आधी में दीवाला है
जहाँ-जहाँ शोषण है बाक़ी वहाँ लड़ाई जारी है
पूरी दुनिया में झण्डा फहराने की तैयारी है
जिसने हमें ज़माने भर के मज़दूरों से जोड़ा है ।
इस परचम की ख़ातिर साथी जान भी दें तो थोड़ा है ।।

हमने अपने ख़ून से रंगकर ये परचम लहराया है
इसकी ही किरनों से छनकर लाल सवेरा आया है
लाखों हिटलर लाखों चर्चिल लाखों निक्सन हार गए
सौ-सौ जेट लड़ाकू सारे एटम बम बेकार गए
हिन्दचीन से हमलावर का नाम मिटाकर छोड़ा है ।
इस परचम की ख़ातिर साथी जान भी दें तो थोड़ा है ।।

दहकानों की मीत दराँती फ़सल काटकर घर लाए
मज़दूरों का यार हथौड़ा दुश्मन जिससे थर्राए
जब इस झण्डे के नीचे धरती के बेटे आते हैं
मज़दूरों के चौड़े सीने फ़ौलादी बन जाते हैं
क़दम मिलाकर साथ चलें दुश्मन ने मैदान छोड़ा है ।
इस परचम की ख़ातिर साथी जान भी दें तो थोड़ा है ।।

रचनाकाल : मार्च 1978