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"लूट का दरबार है चारो तरफ़ / कर्नल तिलक राज" के अवतरणों में अंतर

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10:19, 15 फ़रवरी 2018 के समय का अवतरण

लूट का दरबार है चारों तरफ़
आज अत्याचार है चारों तरफ़।

हर कोई भरमा रहा है हर घडी
गुमशुदा संसार है चारों तरफ।

अब घटाएँ ख़ौफ़ की हैं छा गईं
आदमी बेज़ार है चारों तरफ़।

जितने भी हैं लोग बेबस हैं यहाँ
ज़िंदगी लाचार है चारों तरफ़।

क्या मिले दैरो-हरम मे बंदगी से
मौन की दीवार है चारों तरफ़।