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"वक़्त रहते / प्रफुल्ल कुमार परवेज़" के अवतरणों में अंतर

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उस जेब में एक पता था
 
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एक टेलिफ़ोन नंबर
 
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स्टेशन के टेलिफ़ोन पर आया जवाब
 
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मिल के ज़रूर जाना भाई वापसी से पहले
 
मिल के ज़रूर जाना भाई वापसी से पहले
वर्ना नाराज़ होंगे होंगे हम  
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वर्ना नाराज़ होंगे ही हम  
  
अचानक याद आईं उसे कोठे की अदा
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अचानक याद आई उसे कोठे की अदा
 
अगली ही गाड़ी से लौटते हुए
 
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उसने मनाया शुक्र  
 
उसने मनाया शुक्र  
 
अच्छा रहा  
 
अच्छा रहा  
स्टेशन से ह्ई फ़ोन किया
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स्टेशन से ही फ़ोन किया
 
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21:53, 8 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण


पहली बार
शहर जाते हुए
उसकी स्मृति में एक निमंत्रण था

बार-बार
जिस जेब में जाता था उसका हाथ
उस जेब में एक पता था
एक टेलिफ़ोन नंबर

स्टेशन के टेलिफ़ोन पर आया जवाब
मिल के ज़रूर जाना भाई वापसी से पहले
वर्ना नाराज़ होंगे ही हम

अचानक याद आई उसे कोठे की अदा
अगली ही गाड़ी से लौटते हुए
उसने मनाया शुक्र
अच्छा रहा
स्टेशन से ही फ़ोन किया