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वर्षा राग-3 / उदय प्रकाश

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यह काग़ज़ की नाव चली जाए अमरीका
सिखला दे उनको पूरब का तौर-तरीका
एट्म-बम से बिल्कुल भी धौरी बछिया नाहि डरती
न्यूट्रान से मड़र गाँव की मक्खी भी नाहिं मरती

गोबर ने चोंगी सुलगा कर लट्ठ सम्भाला
आ जाए अब रीगन हो या बेगिन साला।