भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

वहाँ उस आइने में... / केदारनाथ अग्रवाल

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:37, 28 फ़रवरी 2008 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वहाँ उस आइने में खड़ा है मेरा दोस्त-- शमशेर !

उम्र-क़ैद का अकेला अपराधी

बाहर न निकलने के लिए दृढ़प्रतिज्ञ !