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वही न मिलनें का गम और वही गिला होगा / शीन काफ़ निज़ाम
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वही न मिलने का गम और वही गिला होगा
मैं जानता हूं मुझे उसने ने क्या लिखा होगा
किवाड़ो पर लिखी अबजद गवाही देती है
वा हफ्तरंगी कहीं चाक ढूंढता होगा
पुराने वक्तों का है कस्त्र जिन्दगी मेरी
तुम्हारा नाम भी उस में कही लिखा होगा
चुभन ये पीठ में कैसी है मुड़ के देख तो ले
कहीं कोई तुझे पीछे से देखता होगा
गली के मोड़ से घर तक अंधेरा क्यूं है ‘निजाम’
चिराग याद का उस ने बुझा दिया होगा