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विचार / अरविन्द श्रीवास्तव

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खाली था उदर जिनका
उनके लिए विचारों के स्तवक बने थे

उन्हें विचारों की ज़रूरत है
विचारकों ने महसूसा था इसे
और उम्दा-उम्दा विचारों की
संरचना की थी

जिन्हें ज़रूरत थी अन्न की उन्हें
विचार मिले थे, शब्द नहीं
और प्रायोजक अपनी पवित्रता कायम रखने में
सफल हुए थे

क्योंकि विचार सत्ता की कुंजी थे
जहाँ भुक्खड़ पहुँचाते थे
दुनिया के सबसे पेटू लोगों को ।