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"विनम्रता खतरनाक फंदा बुन सकती थी / संजय कुंदन" के अवतरणों में अंतर

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14:10, 10 जून 2013 के समय का अवतरण

उसकी माँ उसे जीवन भर नादान देखना चाहती थी
पर शहर ने उसे समझदार बना दिया

सबसे पहले उसने अपनी हँसी की लहरों को बाँधा
उसकी हँसी ही उसकी दुश्मन बन सकती थी
यह उसने जान लिया था
उसने सीख लिया कि कहाँ कितना वज़न रखना है अपनी हँसी का
थोड़ी भी अतिरिक्त हँसी उसे गिरा सकती थी किसी गहरी खाई में

वह पहचानने लगी थी भाषा के भीतर की खाइयों को
यहाँ सहानुभूति का अर्थ कारोबार भी था
और दोस्ती का अर्थ आखेट हो सकता था
इसलिए वह सबसे ज्यादा सावधान रहती थी
मोरपंख जैसे शब्दों से
गुलदस्ते जैसे शब्दों से
उसे पता चल गया था कि
विनम्रता कितना ख़तरनाक फन्दा बुन सकती थी

वह बहुरुपियों को उन्हीं के हथियार से
चुनौती दे सकती थी पर उसे उन हथियारों से कोई लगाव न था
उसे किसी को हराने और जीतने का शौक न था
वह तो किसी तरह बच-बचाकर निकल जाना चाहती थी
अपने सपने की ओर ।