भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

विश्वास / बालकवि बैरागी

Kavita Kosh से
Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:53, 28 सितम्बर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बालकवि बैरागी |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

शाम ढले पंछी घर आते,
अपने बच्चों को समझाते।
अगर नापना हो आकाश,
पंखों पर करना विश्वास।
साथ न देंगे पंख पराए,
बच्चों को अब क्या समझाए?