भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

वेटर को बुलाती हूँ / विम्मी सदारंगाणी

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:02, 6 दिसम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विम्मी सदारंगाणी |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} <Poem> चाय का प्य…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

चाय का प्याला मैंने
तुम्हारी तरफ बढ़ाया
 
तुमने मेरी ओर नज़र घुमाई

तुम्हारी ठंडी आँखें
मेरे गरम होंठ
मेरी चाय में बाल कहाँ से आ गया
तुम चाय नहीं पिओगे
मैं ही पी लेती हूँ
तुम्हारे साथ बैठकर
सिर्फ 'कोल्ड कॉफ़ी' पी जा सकती है

मैं 'कोल्ड कॉफ़ी' के लिए
वेटर को बुलाती हूँ ।

सिन्धी से अनुवाद : स्वयं कवयित्री द्वारा