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वेदना / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल

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वेदना
 (प्रेम का मार्मिक चित्रण)
 क्षमा न कर सकते क्या
तुम मेरे पापों केा?
लौटा आज न सकते क्या
अपने शापों केा?
पड़ा हुआ हूं घोर नरक में
मैं पशु बनकर
विकट अग्नि से जलता है
धू-धू उर अंतर।
दूर न कर सकते क्या
तुम मेरे तापों को?
लौटा आज न सकते
क्या अपने शापों का?े
(वेदना कविता का अंश)