भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

वो चमन की हवाओं जैसा है / रविकांत अनमोल

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:04, 10 नवम्बर 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रविकांत अनमोल |संग्रह=टहलते-टहलत...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वो चमन की हवाओं जैसा है
ख़ुश्बू ख़ुश्बू है महका महका है

उसके हाथों के लम्स का अहसास
ताज़ा कलियों के लम्स जैसा है

एक तो वो हसीं है ख़ाबों सा
उस पे हैरत कि दिल से मेरा है

वो मिला तो न जाने क्या होगा
जिसका एहसास इतना प्यारा है

शे'र कहने का फ़न नहीं आसां
ख़ुश्बुओं को पकड़ने जैसा है