भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
वो जो दुनिया से गुज़र जाते हैं / अनीता मौर्या
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:05, 9 अगस्त 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनीता मौर्या |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
वो जो दुनिया से गुज़र जाते हैं,
कोई बतलाये किधर जाते हैं,
ज़िन्दगी रोज ही धमकाती है,
रोज ही मौत से डर जाते हैं,
छोड़ देते हैं वो पिंजड़े को खुला,
और पंखों को कतर जाते हैं,
हमको जीने नहीं देगी दुनिया,
हम चलो साथ में मर जाते हैं,
लोग चलते हैं ज़माने की तरफ़,
हम जिधर घर है उधर जाते हैं,