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वो सुबह कभी तो आएगी
वो सुबह कभी तो आएगी<br>इन काली सदियों के सर से जब रात का आंचल ढलकेगाजब दुख के बादल पिघलेंगे जब सुख का सागर झलकेगाजब अम्बर झूम के नाचेगा जब धरती नगमे गाएगी
इन काली सदियों के सर से जब रात का आंचल ढलकेगा<br>जब दुख के बादल पिघलेंगे जब सुख का सागर झलकेगा<br>जब अम्बर झूम के नाचेगा जब धरती नगमे गाएगी<br><br>वो सुबह कभी तो आएगी
वो जिस सुबह कभी की ख़ातिर जुग जुग से हम सब मर मर के जीते हैंजिस सुबह के अमृत की धुन में हम ज़हर के प्याले पीते हैंइन भूखी प्यासी रूहों पर इक दिन तो आएगी<br>करम फ़रमाएगी
जिस वो सुबह की ख़ातिर जुग जुग से हम सब मर मर के जीते हैं<br>जिस सुबह के अमृत की धुन में हम ज़हर के प्याले पीते हैं<br>इन भूकी प्यासी रूहों पर इक दिन कभी तो करम फ़रमाएगी<br>आएगी
वो सुबह कभी तो आएगी<br>माना कि अभी तेरे मेरे अरमानों की क़ीमत कुछ भी नहींमिट्टी का भी है कुछ मोल मगर इन्सानों की क़ीमत कुछ भी नहींइन्सानों की इज्जत जब झूठे सिक्कों में न तोली जाएगी
माना कि अभी तेरे मेरे अरमानों की क़ीमत कुछ भी नहीं<br>मिट्टी का भी है कुछ मोल मगर इन्सानों की क़ीमत कुछ भी नहीं<br>इन्सानों की इज्जत जब झूठे सिक्कों में न तोली जाएगी<br><br>वो सुबह कभी तो आएगी
वो सुबह कभी तो आएगी<br>दौलत के लिए जब औरत की इस्मत को ना बेचा जाएगाचाहत को ना कुचला जाएगा, इज्जत को न बेचा जाएगाअपनी काली करतूतों पर जब ये दुनिया शर्माएगी
दौलत के लिए जब औरत की इस्मत को ना बेचा जाएगा<br>चाहत को ना कुचला जाएगा, इज्जत को न बेचा जाएगा<br>अपनी काली करतूतों पर जब ये दुनिया शर्माएगी<br><br>वो सुबह कभी तो आएगी
वो सुबह बीतेंगे कभी तो आएगी<br>दिन आख़िर ये भूख के और बेकारी केटूटेंगे कभी तो बुत आख़िर दौलत की इजारादारी केजब एक अनोखी दुनिया की बुनियाद उठाई जाएगी
बीतेंगे वो सुबह कभी तो दिन आख़िर ये भूक के और बेकारी के<br>टूटेंगे कभी तो बुत आख़िर दौलत की इजारादारी के<br>जब एक अनोखी दुनिया की बुनियाद उठाई जाएगी<br><br>आएगी
वो सुबह कभी तो आएगी<br>मजबूर बुढ़ापा जब सूनी राहों की धूल न फांकेगामासूम लड़कपन जब गंदी गलियों में भीख न मांगेगाहक़ मांगने वालों को जिस दिन सूली न दिखाई जाएगी
मजबूर बुढ़ापा जब सूनी राहों की धूल न फांकेगा<br>मासूम लड़कपन जब गंदी गलियों में भीक न मांगेगा<br>हक़ मांगने वालों को जिस दिन सुली न दिखाई जाएगी<br><br>वो सुबह कभी तो आएगी
वो सुबह कभी तो आएगी<br>फ़आक़ों की चिताओ पर जिस दिन इन्सां न जलाए जाएंगेसीने के दहकते दोज़ख में अरमां न जलाए जाएंगेये नरक से भी गंदी दुनिया, जब स्वर्ग बनाई जाएगी
फ़आक़ों की चिताओ पर जिस दिन इन्सां न जलाए जाएंगे<br>सीने के दहकते दोज़ख में अरमां न जलाए जाएंगे<br>ये नरक से भी गंदी दुनिया, जब स्वर्ग बनाई जाएगी<br><br>वो सुबह कभी तो आएगी
जिस सुबह की ख़ातिर जुग जुग से हम सब मर मर के जीते हैंजिस सुबह के अमृत की धुन में हम ज़हर के प्याले पीते हैंवो सुबह न आए आज मगर, वो सुबह कभी तो आएगी<br>
जिस सुबह की ख़ातिर जुग जुग से हम सब मर मर के जीते हैं<br>जिस सुबह के अमृत की धुन में हम ज़हर के प्याले पीते हैं<br>वो सुबह न आए आज मगर, वो सुबह कभी तो आएगी<br><br> वो सुबह कभी तो आएगी <br/poem>
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