भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"शरद में या वसन्त में / गुन्नार एकिलोफ़" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुन्नार एकिलोफ़ |संग्रह=मुश्किल से खुली एक खिड...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
09:51, 20 नवम्बर 2008 का अवतरण
शरद में या वसन्त में
क्या फ़र्क़ पड़ता है?
जवानी में या बुढ़ापे में
इसके क्या मानी?
कुछ भी हो
तुम्हें होना है विलुप्त
विराट की छाया में
तुम लुप्त हुए,
लुप्त तुम
अभी या निमिष पूर्व,
या कि हज़ार साल पहले
लेकिन तुम्हारा लुप्त होना ही
रहता है शेष।