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शहर की सड़कों के गहने, गुलमोहर / उर्मिल सत्यभूषण
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शहर की सड़कों के गहने, गुलमोहर
रे तुम्हरे क्या है कहने, गुलमोहर
लाल मणियों से जड़ित पोशाक में
सज रहे हो ताज पहने, गुलमोहर
फूल खिल के दोपहर की धूप में
चुप खड़े संताप सहने, गुलमोहर
तुम क़तारों में खड़े या आग का
चल पड़ा दरया है बहने, गुलमोहर
दुल्हनों से तुमने पहनाये सड़क को
लाल जोड़े और गहने, गुलमोहर
रंग भर के आज उर्मिल प्यार के
मेरे दिल में आओ रहने, गुलमोहर।