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Kavita Kosh से
सुना है आज मक़तल में हमारा इम्तिहाँ होगा
शहीदों की चिताओं पर जुड़ेंगे लगेगें हर बरस मेले
वतन पर मरनेवालों का यही बाक़ी निशाँ होगा