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"शाम-ए-ग़म कुछ उस निगाह-ए-नाज़ की बातें करो / फ़िराक़ गोरखपुरी" के अवतरणों में अंतर
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शाम-ए-ग़म कुछ उस निगाह-ए-नाज़ की बातें करो | शाम-ए-ग़म कुछ उस निगाह-ए-नाज़ की बातें करो | ||
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बेख़ुदी बढ़ती चली है राज़ की बातें करो | बेख़ुदी बढ़ती चली है राज़ की बातें करो | ||
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ये सुकूत-ए-नाज़, ये दिल की रगों का टूटना | ये सुकूत-ए-नाज़, ये दिल की रगों का टूटना | ||
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ख़ामुशी में कुछ शिकस्त-ए-साज़ की बातें करो | ख़ामुशी में कुछ शिकस्त-ए-साज़ की बातें करो | ||
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निकहत-ए-ज़ुल्फ़-ए-परीशां, दास्तान-ए-शाम-ए-ग़म | निकहत-ए-ज़ुल्फ़-ए-परीशां, दास्तान-ए-शाम-ए-ग़म | ||
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सुबह होने तक इसी अंदाज़ की बातें करो | सुबह होने तक इसी अंदाज़ की बातें करो | ||
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कूछ क़फ़स की तीलियों से छन रहा है नूर सा | कूछ क़फ़स की तीलियों से छन रहा है नूर सा | ||
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कुछ फ़िज़ा, कुछ हसरत-ए-परवाज़ की बातें करो | कुछ फ़िज़ा, कुछ हसरत-ए-परवाज़ की बातें करो | ||
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जिसकी फ़ुरक़त ने पलट दी इश्क़ की काया फ़िराक़ | जिसकी फ़ुरक़त ने पलट दी इश्क़ की काया फ़िराक़ | ||
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आज उसी ईसा नफ़स दमसाज़ की बातें करो | आज उसी ईसा नफ़स दमसाज़ की बातें करो | ||
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16:23, 25 अक्टूबर 2020 के समय का अवतरण
शाम-ए-ग़म कुछ उस निगाह-ए-नाज़ की बातें करो
बेख़ुदी बढ़ती चली है राज़ की बातें करो
ये सुकूत-ए-नाज़, ये दिल की रगों का टूटना
ख़ामुशी में कुछ शिकस्त-ए-साज़ की बातें करो
निकहत-ए-ज़ुल्फ़-ए-परीशां, दास्तान-ए-शाम-ए-ग़म
सुबह होने तक इसी अंदाज़ की बातें करो
कूछ क़फ़स की तीलियों से छन रहा है नूर सा
कुछ फ़िज़ा, कुछ हसरत-ए-परवाज़ की बातें करो
जिसकी फ़ुरक़त ने पलट दी इश्क़ की काया फ़िराक़
आज उसी ईसा नफ़स दमसाज़ की बातें करो