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शिल्पी तियाना का / कंस्तांतिन कवाफ़ी / सुरेश सलिल

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जैसा तुमने सुना होगा, मैं नौसिखुआ नहीं
अपने वक़्तों में मैंने ढेरों पत्थर तराशे हैं,
और अपने देश तियाना में मैं बहुत प्रसिद्ध हूँ ।

यहाँ के कई सीनेटरों ने भी मुझसे काम कराया है ।
आइए, अपने कुछेक काम आपको दिखाऊँ !

यह देखिए — रिया<ref>यूनानी पौराणिकी के आदिकालीन देवता [टाइटन] क्रोनस [रोमन ‘सैटर्न’] की पत्नी तथा ज़ीअस और हेरा की माँ।
</ref> : श्रद्धास्पद, धैर्यमूर्ति, आदिकालीन
देखिए — पोम्पे<ref>जूलिअस सीज़र का समकालीन एक महान रोमन सेनानायक।</ref> और यह मारिअस<ref>86 ई.पू. से 183 ई.पू. के मध्य के रोमन काउंसुल एवं जनरल।</ref> और
पाउलुस अमीलिअस<ref>86 ई.पू. से 183 ई.पू. के मध्य के रोमन काउंसुल एवं जनरल।</ref> और सीपिओ अफ्रिकानुस<ref>86 ई.पू. से 183 ई.पू. के मध्य के रोमन काउंसुल एवं जनरल।</ref>।
सामर्थ्यानुसार जितना सजीव मैं तराश सका ।

और पात्रोक्लोस<ref>एक पौराणिक यूनानी योद्धा, जो त्रोय के युद्ध में मारा गया। अकिलीस का अभिन्न मित्र।</ref> [थोड़ा सा काम अभी इस पर मुझे करना है ।]
संगमरमर के उन पीताभ खण्डों के निकट वहाँ
खड़ा है कैसेरिअन<ref>जूलिअस सीज़र और क्लिओपात्रा का बेटा। तोलेमी राजवंश का सोलहवाँ शासक।</ref> !

एक अरसे से मैं पोसीदोन<ref>समुद्र और अरबों का यूनानी देवता, रोम में नेप्च्यून नाम से लोकप्रिय।</ref> के एक शिल्प पर लगा हुआ हूँ
ख़ासतौर से उसके अश्वों को लेकर सोचविचार चल रहा है
किस तरह सजीव करूँ उन्हें ।

उन्हें इतना हल्का-इतना फुरतीला होना है,
साफ़ नज़र आए कि उनकी देहें, उनकी टाँगें
धरती का स्पर्श किए बिना
पानी पर सरपट दौड़ रही हैं ।

किन्तु मेरा सबसे पसन्दीदा काम यह है
बहुत ही भावना और मनोयोग से तराशा गया ।
यह वाला !... वह बहुत गर्म दिन था
और मेरी चेतना सर्वांग जाग्रत
किसी दिव्यदर्शन की भाँति मेरे निकट आया
यह युवा हर्मीस<ref>वाणिज्य, मल्ल विद्या का यूनानी देवता, रोम में मर्करी नाम से लोकप्रिय। इस कविता का घटनास्थल रोम है और केन्द्रीय चरित्र कवि-कल्पित। तियाना कापादोकिया में एक नगर था।</ref> !

[1911]

अँग्रेज़ी से अनुवाद : सुरेश सलिल

शब्दार्थ
<references/>