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"शिवालों मस्जिदों को छोड़ता क्यों नहीं / प्रकाश बादल" के अवतरणों में अंतर

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शिवालों मस्जिदों को छोड़ता क्यों नहीं।
 
शिवालों मस्जिदों को छोड़ता क्यों नहीं।
खुदा है तो रगों में दौड़ता क्यों नहीं।
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ख़ुदा है तो रगों में दौड़ता क्यों नहीं।
  
लहूलुहान हुए हैं लोग तेरी खातिर,
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लहूलुहान हुए हैं लोग तेरी ख़ातिर,
खामोशी के आलम को तोड़ता क्यों नहीं।
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ख़ामोशी के आलम को तोड़ता क्यों नहीं।
  
कहदे की नहीं है तू गहनोंन से सजा पत्थर,
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आदमी की ज़हन को झंझोड़ता क्यों नहीं,
 
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अन्याय की कलाई मरोड़ता क्यों नहीं।
 
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झुग्गियां ही क्यों महल क्यों नहीं,
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बाढ़ के रुख को मोड़ता क्यों नहीं।
 
बाढ़ के रुख को मोड़ता क्यों नहीं।
 
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23:03, 2 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण

 
शिवालों मस्जिदों को छोड़ता क्यों नहीं।
ख़ुदा है तो रगों में दौड़ता क्यों नहीं।

लहूलुहान हुए हैं लोग तेरी ख़ातिर,
ख़ामोशी के आलम को तोड़ता क्यों नहीं।

कहदे की नहीं है तू गहनों से सजा पत्थर,
आदमी की ज़हन को झंझोड़ता क्यों नहीं,

पेटुओं के बीच कोई भूखा क्यों रहे,
अन्याय की कलाई मरोड़ता क्यों नहीं।

झुग्गियाँ ही क्यों महल क्यों नहीं,
बाढ़ के रुख को मोड़ता क्यों नहीं।