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सँयुक्त राष्ट्र के सभी संभ्रान्त लोगों से / समीह अल कासिम

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ओ जगह-जगह से आए, सज्जनो
इस भरी दुपहरी में
आपकी ख़ूबसूरत टाइयाँ
और आपकी उत्तेजनापूर्ण बहसें
हमारे समय में
क्या भला कर सकती हैं

ओ जगह-जगह से आए, सज्जनो
हमारे दिल में काई जम गई है
और इसने
शीशे की सारी दीवारों को
ढँक लिया है

इतनी सारी बैठकें
तरह-तरह के भाषण
इतने जासूस
वेश्याओं जैसी बातें
इतनी गप्पबाज़ियाँ
हमारे समय में
क्या भला कर सकती हैं

सज्जनो
जो होना है सो होने दें
मैं दुनिया तक पहुँचने के रास्ते खोज रहा हूँ
मेरा ख़ून पीला पड़ गया है
और मेरा दिल
वायदों के कीचड़ में फँस गया है

ओ जगह-जगह से आए, सज्जनो
मेरी शर्म
एक पर्दा बन जाए, मेरा दुख एक साँप
ओ जगह-जगह से आए काले चमकते जूतो
मेरा ग़ुस्सा इतना बड़ा है
कि कह नहीं सकता

और समय इतना कायरतापूर्ण
और जहाँ तक मेरा सवाल है—
मेरे हाथ नहीं हैं

अँग्रेज़ी से अनुवाद : रामकृष्ण पाण्डेय