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"सच कहना और पत्थर खाना पहले भी था आज भी है / हस्तीमल 'हस्ती'" के अवतरणों में अंतर
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जिस पंछी की परवाज़ों में दिल की लगन भी शामिल हो | जिस पंछी की परवाज़ों में दिल की लगन भी शामिल हो | ||
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जीवन का ये पा पुराना पहले भी था आज भी है | जीवन का ये पा पुराना पहले भी था आज भी है | ||
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मेरी कहानी तेरा फ़साना पहले भी था आज भी है | मेरी कहानी तेरा फ़साना पहले भी था आज भी है | ||
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17:16, 18 जून 2020 के समय का अवतरण
सच कहना और पत्थर खाना पहले भी था आज भी है
बन के मसीहा जान गँवाना पहले भी था और आज भी है
दफ़्न हज़ारों ज़ख़्म जहाँ पर दबे हुए हैं राज़ कई
दिल के भीतर वो तहख़ाना पहले भी था आज भी है
जिस पंछी की परवाज़ों में दिल की लगन भी शामिल हो
उसकी ख़ातिर आबोदाना पहले भी था आज भी है
कतना, बुनना, रँगना, सिलना, फटना, फिर कतना-बुनना
जीवन का ये पा पुराना पहले भी था आज भी है
बदल गया है हर इक किस्सा फ़ानी दुनिया का लेकिन
मेरी कहानी तेरा फ़साना पहले भी था आज भी है