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सत्य कहना, हे जगदाधार!
कभी तुम्हें भी विचलित करता जग का हाहाकार?
 
क्या तुम भी इस मर्त्यलोक के
सुनकर करुण विलाप शोक के
कभी काल का चक्र रोक के रोकके
दिखलाते हो प्यार!
 
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