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सदस्य:Sumitkumar kataria

327 bytes removed, 14:55, 7 मई 2008
मेरा नाम सुमित है। उम्र 17('07 में), रहनवारी जयपुर की है। साहित्य का शौकीन हूँ।
कविताओं के बारे में ज़िक्र करूँ तो, सबसे पहले जो कविता मुझे पसंद आयी वो मेरी दसवीं की हिन्दी की किताब
''आजकल कोश पर क्या कर रहा हूँ?''
आजकल, बकौल जनविजय जी, मुक्तिबोध को बिना पूछे चांद का मुँह टेढ़ा कुछ नहीं कर रहा हूँ। असल रहा। एक साल के लिए सब बंद। इस एक साल में आजकल अज्ञेयकी 'कितनी नावों भी अगर इम्तिहान में कितनी बार' टाइप कर रहा हूँफ़ेल हो गया तो हमेशा के लिए बंद। मम्मा-पापा ने रोक लगा दी। माफी चाहूँगा।--[[सदस्य:Sumitkumar kataria|सुमितकुमार कटारिया]]([[सदस्य वार्ता:Sumitkumar kataria|वार्ता]]) १४:५४, उसे लायब्रेरी को लौटाने की जल्दी है। बाद में मुक्तिबोधकी किताब पूरी करूँगा।  ७ मई २००८ (उम्मीद करता हूँ, बल्कि मेरा इस तआरुफ़ को लिखने का इरादा भी यही है, कि अब दूसरे सदस्य मेरे लिए'जी' या 'आप' शब्द का इस्तेमाल नहीं करेंगे।UTC)
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