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सदस्य वार्ता:Dr.bhawna

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सादर
अनिल जनविजय
 
''भाई अनिल जी नमस्कार ! आपने यह बहुत अच्छा प्रश्न उठाया है -[ लेकिन आप या रामेश्वर जी गांधी गंध, गंदा, गंदगी, गंगा, नंगा, दंगा आदि के बारे में भी बता दें तो कृतज्ञ रहूंगा।
दूसरी बात-- यह 'शिरोरेखा' क्या चीज़ है? ] गाँधी जी इस तरह लिखे जाएँगे ।गंदा, गंदगी, नंगा, दंगा शब्द संस्कृत के तत्सम शब्द नहीं है। इन्हें ऐसे भी लिखा जा सकता । ङ् (पंचम वर्ण)का प्रचलन नंगा और दंगा के लिए उपयुक्त नहीं है ,गंगा में भले ही प्रयोग कर लें ;क्योंकि यह संस्कृत का शब्द है ।गन्दगी ,गन्दा इस प्रकार भी लिखे जा सकते है ।एन सी ई आर टी यही मानती है ।भारत सरकार की मानक हिन्दी वर्तनी तथा नागरी लिपि के दो पृष्ठ (12-13)संलग्न है।देवनागरी शिरोरेखा ( वर्ण के सिर पर लगाई जाने वाली रेखा) वाली भाषा है ,गुजराती नहीं । कि ,की,के कै, को ,कौ में मात्राए॥ण शिरोरेखा के ऊपर हैं।भैंस , मैं , नहीं में चन्द्र बिन्दु ( भैँस ,मैँ ,नहीँ )लगना चाहिए लेकिन प्रचलन में नहीं है ।सूँघना ,पाँच ,रचनाएँ में चन्द्र बिन्दु लगेगा ;क्योंकि इन शब्दों की मात्राएँ या स्वर (रचनाएँ में) शिरोरेखा से नीचे हैं । एक बात और जानना चाहूँगा-गद्यकोश और कविताकोश में हम जो रचनाएँ स्वयं टाइप करके जोड़ते हैं ,इनमे तनिक संशोधन करके क्या मूल सामग्री जोड़ने वाले का नाम हटा दिया जाता है? कृपया अपना ईमेल भी दे दीजिएगा ।'''''मोटा पाठ'''
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