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सनम तू हरजाई / सुभाष चंद "रसिया"

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ओ जारे-जारे सनम तू हरजाई।
तोड़ के दिल के करेल तुरपाई॥

आँख बढ़ियाइल बा जिया घबराइल।
दिलवा के नदिया में नईया हेराइल।
काटे धावेले आपन ही परछाईं॥
ओ जारे-जारे सनम तू हरजाई॥

मनवा के बतिया बा मन में सिमट के।
संग में सुते तोहार तकिया चिमट के।
ओ मार डालेले हमरा के तन्हाई।
ओ जारे-जारे सनम तू हरजाई॥

झील जइसे अँखियाँ में हम डूब गइनी।
दिलवा के गलिया के रस्ता भूलइनी।
हो रैन बीते ना, तड़पावे चरपाई॥
ओ जारे-जारे सनम तू हरजाई॥

गाँव की गोइडवा बोले कोइलरिया।
जुल्मी भइल बाटे आपन उमरिया।
हो मधुशाला के हाला में तड़पाई॥
ओ जारे-जारे सनम तू हरजाई॥