भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सन्दर्भ / लावण्या शाह" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: ज्योति का जो दीप से , मोती का जो सीप से , वही रिश्ता , मेरा , तुम से ! प्रणय का ...)
 
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 +
{{KKGlobal}}
 +
{{KKRachna
 +
|रचनाकार=लावण्या शाह
 +
}}
 +
<poem>
 
ज्योति का जो दीप से ,
 
ज्योति का जो दीप से ,
 
मोती का जो सीप से ,
 
मोती का जो सीप से ,

08:57, 27 अगस्त 2008 के समय का अवतरण

ज्योति का जो दीप से ,
मोती का जो सीप से ,
वही रिश्ता , मेरा , तुम से !
प्रणय का जो मीत से ,
स्वरों का जो गीत से ,
वही रिश्ता मेरा , तुम से !
गुलाब का जो इत्र से ,
तूलिका का जो चित्र से ,
वही रिश्ता मेरा , तुम से !
सागर का जो नैय्या से ,
पीपल का जो छैय्याँ से ,
वही रिश्ता मेरा , तुम से !
पुष्प का जो पराग से ,
कुमकुम का जो सुहाग से ,
वही रिश्ता मेरा , तुम से !
नेह का जो नयन से , डाह का जो जलन से ,
वही रिश्ता मेरा , तुम से !
दीनता का शरण से ,
काल का जो मरण से ,
वही रिश्ता मेरा , तुम से !