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सन्दर्भ / लावण्या शाह

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ज्योति का जो दीप से , मोती का जो सीप से , वही रिश्ता , मेरा , तुम से ! प्रणय का जो मीत से , स्वरों का जो गीत से , वही रिश्ता मेरा , तुम से ! गुलाब का जो इत्र से , तूलिका का जो चित्र से , वही रिश्ता मेरा , तुम से ! सागर का जो नैय्या से , पीपल का जो छैय्याँ से , वही रिश्ता मेरा , तुम से ! पुष्प का जो पराग से , कुमकुम का जो सुहाग से , वही रिश्ता मेरा , तुम से ! नेह का जो नयन से , डाह का जो जलन से , वही रिश्ता मेरा , तुम से ! दीनता का शरण से , काल का जो मरण से , वही रिश्ता मेरा , तुम से !