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"सबने तो लिए लूट निज-निज भाग / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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सबने तो लिए लूट निज-निज भाग
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सबने तो लिये लूट निज-निज भाग
 
एक निर्विकल्प मैं ही मौन रहा जाग  
 
एक निर्विकल्प मैं ही मौन रहा जाग  
 
 
 
 
किसी को समृद्धि मिली, सुख मिला जी को
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किसीको समृद्धि मिली, सुख मिला जी को
कंचन किसीको और कामिनी किसी को
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कंचन किसीको और कामिनी किसीको
घेर लिया नभ को किसी ने धरती को
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घेर लिया नभ को किसीने धरती को
 
और मैं सभी को चला त्याग, बिना राग
 
और मैं सभी को चला त्याग, बिना राग
 
 
 
 
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सबने उढ़ाये अलंकार प्राण-तन को  
 
सबने उढ़ाये अलंकार प्राण-तन को  
बाँट दिया मैंने  तो निजत्व भी भुवन को  
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बाँट दिया मैंने तो निजत्व भी भुवन को  
 
साबुन से धो-धोकर साफ किया मन को  
 
साबुन से धो-धोकर साफ किया मन को  
पड़ने दिया न कहीं कोई भी दाग
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पड़ने दिया न कहीं कोई भी दाग़
 
 
 
 
सबने तो लिए लूट निज-निज भाग
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सबने तो लिये लूट निज-निज भाग
 
एक निर्विकल्प मैं ही मौन रहा जाग
 
एक निर्विकल्प मैं ही मौन रहा जाग
 
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02:41, 22 जुलाई 2011 के समय का अवतरण


सबने तो लिये लूट निज-निज भाग
एक निर्विकल्प मैं ही मौन रहा जाग
 
किसीको समृद्धि मिली, सुख मिला जी को
कंचन किसीको और कामिनी किसीको
घेर लिया नभ को किसीने धरती को
और मैं सभी को चला त्याग, बिना राग
 
कोई थे चतुर, नीतिवान कोई ज्ञानी थे
जाति, कुल, बड़प्पन के कोई अभिमानी थे  
लूटकर मुहर कोई सूची के दानी थे
फूँक निज घर को मैं रचता था फाग
 
सबने उढ़ाये अलंकार प्राण-तन को  
बाँट दिया मैंने तो निजत्व भी भुवन को
साबुन से धो-धोकर साफ किया मन को
पड़ने दिया न कहीं कोई भी दाग़
 
सबने तो लिये लूट निज-निज भाग
एक निर्विकल्प मैं ही मौन रहा जाग