भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सब इख़्तियार मेरा तुज हात है प्यारा / क़ुली 'क़ुतुब' शाह

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सब इख़्तियार मेरा तुज हात है प्यारा
जिस हाल सूँ रखेगा है ओ ख़ुशी हमारा

नयना अँझूँ सूँ धोऊँ पग अप पलक सूँ झाडूँ
जे कुई ख़बर सो लियावे मुख फूल का तुम्हारा

बुत-ख़ाने नयन तेरे होर बुत नयन कियाँ पुतलियाँ
मुज नयन में पुजारी पूजा अधान हमारा

उस पुतलियाँ की सूरत कुई ख़्वाब में जो देखे
रश्क आए मुज करे मत कोई सजदा उस दवारा

तुज ख़याल की हवस थे है जिउ हमन सो ज़िंदा
ओ ख़याल कद ने जावे हम सर थे टुक बहारा