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"सब की सुनना, अपनी करना / हस्तीमल 'हस्ती'" के अवतरणों में अंतर

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फूलों का अंदाज़ सिमटना  
 
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खुशबू का अंदाज़ बिखरना  
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बरसों याद रखें ये मौजें  
 
बरसों याद रखें ये मौजें  

15:14, 17 जून 2020 के समय का अवतरण

सब की सुनना, अपनी करना
प्रेम नगर से जब भी गुज़रना

अनगिन बूँदों में कुछ को ही
आता है फूलों पे ठहरना

फूलों का अंदाज़ सिमटना
ख़ुशबू का अंदाज़ बिखरना

बरसों याद रखें ये मौजें
दरिया से यूँ पार उतरना

अपनी मंज़िल ध्यान में रखकर
दुनिया की राहों से गुज़रना