भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"समाचार है अद्भुत / 'सज्जन' धर्मेन्द्र" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 6: पंक्ति 6:
 
{{KKCatNavgeet}}
 
{{KKCatNavgeet}}
 
<poem>
 
<poem>
समाचार हैं
+
समाचार है अद्भुत
अद्भुत
+
जीवन का
जीवन के
+
  
 
अब बर्बादी
 
अब बर्बादी
 
करे मुनादी
 
करे मुनादी
 
संसाधन सीमित
 
संसाधन सीमित
सड़ जाने दो
+
सड़े भले सब
किंतु करेगा
+
किन्तु करेगा
 
बंदर ही वितरित
 
बंदर ही वितरित
  
नियम  
+
नियम अनूठा है
अनूठे हैं
+
मानव-वन का
मानव-वन के
+
  
 
प्रेम-रोग अब  
 
प्रेम-रोग अब  
 
लाइलाज
 
लाइलाज
 
किंचित भी नहीं रहा
 
किंचित भी नहीं रहा
नई दवा ने
+
नये नशे ने
 
आगे बढ़कर
 
आगे बढ़कर
 
सबका दर्द सहा
 
सबका दर्द सहा
  
रंग बदलते
+
रंग बदलता
पल पल
+
पल-पल तन-मन का
तन मन के
+
  
 
धन की नौकर
 
धन की नौकर
पंक्ति 39: पंक्ति 36:
 
देखो हुई धनी
 
देखो हुई धनी
  
बदल रहे
+
बदल रहा
आदर्श
+
आदर्श लड़कपन का
लड़कपन के
+
 
</poem>
 
</poem>

09:50, 21 जनवरी 2019 के समय का अवतरण

समाचार है अद्भुत
जीवन का

अब बर्बादी
करे मुनादी
संसाधन सीमित
सड़े भले सब
किन्तु करेगा
बंदर ही वितरित

नियम अनूठा है
मानव-वन का

प्रेम-रोग अब
लाइलाज
किंचित भी नहीं रहा
नये नशे ने
आगे बढ़कर
सबका दर्द सहा

रंग बदलता
पल-पल तन-मन का

धन की नौकर
निज इच्छा से
अब है बुद्धि बनी
कर्म राम के
लेकिन लंका
देखो हुई धनी

बदल रहा
आदर्श लड़कपन का