भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"समारोप / जतरा चारू धाम / सुरेन्द्र झा ‘सुमन’" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुरेन्द्र झा ‘सुमन’ |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
10:37, 17 जून 2015 के समय का अवतरण
मोक्षधाम चारू घुमि फिरि अहँ फेर फिरब निज गाम
जहि ठाँ चतुर्वर्ग फल निर्भर स्वर्ग न जकर उपाम।।44।।
कमला वाग्मती जल सिंचित गाम - टोल लगिचाय
देश दर्शन क कथा सरुचि शुचि सबकेँ देब सुनाय।।45।।
भारतीय नागरिक निपुण अहँ, विदित मैथिले नाम
पतरा मे जतराक सगुन फल पायब अपनहि गाम।।46।।
जीवन जतरा बनल सगुन गुनि लोक वेद अभिराम
भारत भूमिक दरस परस हित देखल चारू धाम।।47।।